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लेखनी प्रतियोगिता -15-Mar-2023 गुहार

गुहार


बड़ा अजीब मामला है । एक हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा रहा है कि माई बाप हमें बचा लो । ये इस देश में ही संभव है क्योंकि छद्म धर्मनिरपेक्षता में ऐसा ही होता है । देश का जब एक प्रधान मंत्री यह कहता है कि इस देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है और अल्पसंख्यकों से मतलब केवल शांतिदूतों से ही है , तभी छद्म धर्मनिरपेक्षता की पोल खुल जाती है । मगर कुछ आंख के अंधे और अक्ल के दुश्मनों को यह बात समझ में नहीं आती है । 

अभी कल परसों ही सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय सुनाया है । निर्णय भी बड़ा गजब का है । इलाहाबाद हाईकोर्ट में शांतिदूतों ने अवैध रूप से एक मस्जिद का निर्माण कर लिया था । शांतिदूतों को यह अधिकार है कि वे कहीं पर भी कुछ भी कर सकते हैं । बीच सड़क पर नमाज पढ सकते हैं । नमाज के दिन सरकारी कर्मचारी कार्यालय से गायब रह सकते हैं । कहीं पर भी मस्जिद बन सकती है । किसी हिंदू की बहन बेटी के साथ कहीं पर भी कुछ भी किया जा सकता है । सनातन धर्म के खिलाफ अनर्गल बातें बकी जा सकती हैं और श्रीराम , श्रीकृष्ण और शिवजी को सरेआम गाली दी जा सकती है । यह उनका मौलिक अधिकार है और इसमें किसी को भी हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं है । यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं है । 

तो शांतिदूतों ने हाईकोर्ट परिसर में एक मस्जिद बना ली और उत्तर प्रदेश की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकारें मूक दर्शक होकर मस्जिद बनते हुए देखती रहीं । शांतिदूतों ने अस्थाई निवास के लिए जमीन लीज पर देने के लिए सरकार से निवेदन किया । तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकार तो शांतिदूतों के लिए तन, मन, धन सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार बैठीं रहतीं हैं , तो उन्होंने लीज पर जमीन दे दी । पर यहां ध्यान रखने की बात है कि जमीन लीज पर मस्जिद बनाने के लिए नहीं दी । धर्म स्थल बनाने के लिए अलग से कानून बना है उसके अनुसार ही मंदिर मस्जिद बनाये जा सकते हैं । 

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका लगी कि इस अवैध मस्जिद को वहां से हटाया जाये । सन 2017 में योगी बाबा उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बन गए और उन्होंने लीज की अवधि बढाने से इंकार कर दिया । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सन 2017 में अपने निर्णय के तहत उस अवैध मस्जिद को हटाने का आदेश पारित कर दिया । 

इस आदेश के खिलाफ वक्फ बोर्ड भागा भागा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा । ऐसे मामलों की पैरवी एक खानदानी दल के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ही करते हैं । या तो ये इतने भूखे हैं कि रोटी के लिए ऐसे ऐसे केस लड़ते हैं जो सनातन विरोधी हों, जन विरोधी हों या देश विरोधी हों । राम मंदिर के खिलाफ जो वकील था वो भी कपिल सिब्बल ही था । शांतिदूतों का हर केस यही सिब्बल ही लड़ता है । तो सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में गिड़गिड़ाया 
"हुजूर, माई बाप ! देखिये, एक भगवा मुख्यमंत्री बेचारे अल्पसंख्यकों पर कैसा अत्याचार कर रहा है । बेचारों को नमाज भी नहीं पढने दे रहा है । उनके धर्म स्थल तोड़े जा रहे हैं और उन पर जुल्म ढाये जा रहे हैं । यह देश के मूल ढांचे का अपमान है । संविधान के मूल ढांचे को तोड़ा जा रहा है । यह तो हिन्दू राष्ट्र बनाने की तैयारी हो रही है" 

जितनी भी अनर्गल बातें हो सकतीं थीं , सब कर दी इन्होंने । तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों के पास अनर्गल बातों के अतिरिक्त और कुछ है भी नहीं तो सिब्बल और क्या कहता ? ऐसी ही फर्जी दलीलें राम मंदिर केस में दी थी इसने । पर इसमें इसका क्या दोष ? इसे इतना बड़ा वकील भी तो सुप्रीम कोर्ट ने ही बनाया था , वर्ना इसके पास सामान क्या है ? इसके हर केस को सुप्रीम कोर्ट उसी समय सुनने को क्यों तैयार हो जाता है ? सुप्रीम कोर्ट से मनमाफिक आदेश कैसे पारित करा लेता है ये सिब्बल ? पर शायद अब इसके दिन लद गये हैं इसलिए अब दाल गल नहीं रही है । 

सुप्रीम कोर्ट ने सबको सुना । इलाहाबाद हाईकोर्ट कह रहा है कि आप ही तो माई बाप हो । अब आप ही बचाओ इन शांतिदूतों से और सिब्बल जैसे वकीलों से । हाईकोर्ट परिसर में मस्जिद बना ली है हुजूर इन शांतिदूतों ने । न कोई अनुमति और न ही जमीन का आबंटन, फिर भी मस्जिद बना ली । जब हाईकोर्ट का ये हाल है तो बाकी जगह का क्या होगा ? 

सुप्रीम कोर्ट को लगा कि हाईकोर्ट की हालत द्रोपदी जैसी हो गई है जिसकी लाज ये सिब्बल जैसे लोग लूट रहे हैं इसलिए अबकी बार तो बचाना ही चाहिए । सुप्रीम कोर्ट ने मेहरबानी करके हाईकोर्ट की लाज बचा ली और मस्जिद हटाने का आदेश पारित कर दिया । फिर भी तीन महीने का समय दे दिया कि तीन महीने में खुद ही हटा लो मस्जिद वरना बाबा तोड़ देगा । हालांकि सिब्बल को झुनझुना भी पकड़ा दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार से फिर से लीज के लिए प्रार्थना की जा सकती है । सुप्रीम कोर्ट वैसे भी शांतिदूतों पर बहुत मेहरबान रहा है अब तक । तो आदत एकदम से कैसे बदल जायेगी । वह भी यही मानकर चलता है कि प्रथम अधिकार शांतिदूतों का ही है वहां पर । 

तो देखते हैं कि तीन महीने बाद ये अवैध इमारत गिरती है या इसमें और कोई पेंच फंसता है । 

श्री हरि 
15.3.23 


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6 Comments

Milind salve

22-Mar-2023 08:30 PM

शानदार

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Abhinav ji

16-Mar-2023 07:50 AM

Very nice 👍

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